KHOTTADIH COLERY
सन 1985. मे खोट्टाडीह कॉलेरी की शुरुआत हुई थी
खोट्टादीह कोयला खदान पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के आसनसोल उपखंड में स्थित है।
यह रानीगंज कोलफील्ड के अंतर्गत आती है।
यह खदान उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के महत्वपूर्ण भंडार के लिए जानी जाती है।जो की थर्मल कोल के लिए जाना जाता है।
खोट्टादीह कोयला खदान यह भारत के सबसे पुराने कोलफील्ड्स में से एक है।
यहां पर 2 प्राइवेट कंपनी काम कर रही है, जेएमएस माइनिंग JMS MINING और सीमैट दोनो ही सीएम प्रोजेक्ट है।
संचालक
इसका संचालन ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) द्वारा किया जाता है, जो कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की एक सहायक कंपनी है।
उत्पादन
यह खदान कोकिंग और नॉन-कोकिंग दोनों प्रकार का कोयला उत्पादित करती है, जो बिजली उत्पादन और इस्पात निर्माण सहित विभिन्न उद्योगों को आपूर्ति की जाती है।
प्रतिदिन यहां से हजारों टन कोयला निकाला जाता है। यहां पर दो विधियों से कोयला निकाला जाता है, इस खदान का उद्देश्य मुख्यतः बिजली उत्पादन हेतु कोयला प्रदान करना है, जो कि थर्मल पावर प्लांट्स में उपयोग होता है।
1)ब्लास्टिंग:- इस विधि में कोल ब्लॉक में ड्रिल करके उसमें विस्फोटक का उपयोग करके कोयले को बाहर निकाला जाता है।
2) कंटीन्यूअस माइनर :- कंटीन्यूअस माइनर इलेक्ट्रिक मशीन है जो इलेक्ट्रिक सप्लाई से चलती है जो कोयल को कटती है और लोडिंग करते जाती है ।
प्रौद्योगिकी
यहां भूमिगत खनन तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिसमें बोर्ड-एंड-पिलर और लॉन्गवॉल खनन विधियाँ शामिल हैं।यह खदान क्षेत्र में कोयला आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था में रोजगार प्रदान करके और संबंधित उद्योगों का समर्थन करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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